साँसों के चलने से
ज़िन्दगी है, याने ज़िन्दगी चलती है तब ,जब सांस चलती है. हर सांस ज़िन्दगी की कड़ी को
आगे और आगे ले जाती है. ज़िन्दगी जीना यानि तजुर्बों को इकठ्ठा करना होता है. हम जो
कुछ महसूस करते हैं ये ही हमारे जिंदगी के तजुर्बे होते हैं. हमारे एहसास हमें रोज़
नए-नए तजुर्बे करवाते हैं. हमारी हर सांस पर इन एहसासात का सारा लेखा-जोखा होता
है.ये एहसास देख कर,कभी छू कर,कभी खुशबु बन कर,कभी ज़ायेका बन कर,कभी आवाज़ बन कर हमसे मिलते हैं.
दुनिया में सबके
एहसासात तक़रीबन एक से, या एक-दूसरे से मिलते-जुलते ही होते हैं. कुछ एहसास अपने-आप
पैदा भी होते हैं,और ख़त्म भी हो जाते हैं. कुछ साथ-साथ जिंदगीभर चलते रहते हैं. जो
ख़त्म हो जाते हैं,वो ख़त्म हो कर भी अपनी यादों के निशान दर्ज कर देते हैं. ये
ज़िन्दगी के तजुर्बे बन कर हमें आगे की जिंदगी जीने का रास्ता दिखाते हैं.
वक़्त-ऐ-रुमाल मेरी
जिंदगी ने थामा है
छोटे से कोने पर वक़्त
के
मेरे ख़्वाबों का
आशियाना है
ख़यालों का मेरे यहाँ आना जाना है
इतनी सी तुझसे
गुज़ारिश है ख़ुदा
चाहे बारिश में कुछ
रोप जाना तू
पर कभी धूप से इसे
सुखाना ना
आसमान का छोटा सा
पुर्ज़ा जो है
मेरे आशियाने का
पहरेदार वो है
इतनी सी तुझसे
गुज़ारिश है ख़ुदा
ये बात उसे कभी
बताना भी ना
और उससे ये छुपाना भी ना
सारे कोने वक़्त के
तेरे हवाले ख़ुदा
एक क़तरा तेरी
मेहरबानी
एक बूंद सी मेरी
जिंदगानी
मेरी इबादत का मिले मुझे सिला
मेरे हिस्से में
किसी को बसाना ना
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