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Sunday 25 October 2015

sath eahsas ke




 ज़िन्दगी में रिश्ते बहोत माएने रखते हैं. ये एक तरह से आपकी ज़िन्दगी जीने की ज़मीन तैयार करते हैं. एक ऐसी ज़मीन जहाँ आपकी तरक्की की पैदावार उगती और बढ़ती है. आपकी सारी क़ामयाबी यही ज़मीन तय करती है.. यहाँ तक की ख़ुश भी अगर आप होते हैं, तो आपकी ख़ुशियों में आपके इर्द-गिर्द मौजूद आपके यही रिश्ते इज़ाफ़ा करते हैं. दर-असल हम जैसे बनना चाहते हैं, अक्सर ऐसे ही लोगों से हम मिलना ज़्यादा पसंद करते हैं. उनके तौर-तरीक़ों को भी हम अंजाने में अपना लेते हैं. यूँ ही हम अपनी ज़िन्दगी के मक़सद भी बना लेते हैं. अक्सर जैसे लोगों के बीच हम रहते हैं उनकी सोच को भी अपना लेते हैं. आपकी ज़िन्दगी पर आपके आस-पास मौजूद आपके दोस्त, आपके रिश्तेदार सबसे ज़्यादा असर डालते हैं. याने आप अगर क़ामयाब लोगों के बीच हैं, तो आपकी कोशिश क़ामयाबी हासिल करना ही होगी. ऐसे लोगों से आप कुछ सीख भी पाते हैं. इनका साथ भी आपको अच्छा लगता है. अपने जैसे लोगों को इन्सान कही भी कभी भी ढूंढ लेता है.अपनी दिली ख़्वाइशात आप इनसे कह भी पाते हैं और ये समझते भी हैं, अगर आपके रिश्ते सच्चे हैं. फिर ये बात माएने नहीं रखती कि ये आपके कितने नज़दीक हैं या आपके दरमियान कितने ज़मीनी फ़ासले मौजूद हैं.


जज़्बात के मोती बिखरे हैं, साथ एहसास के इन्हें पढ़ना  
अल्फ़ाज़ बयाँ ना कर पाएंगे, दिल की लौग़त साथ रखना.

समझ ना सको कोई बात, ख़याल संभल कर पढ़ना
लफ्ज़ के सब माएने तुम, महसूस कर ज़रा समझना


दिल के जज़्बात ऐ दोस्त, हालात के साथ समझना
मिलो इस दफ़ा, नाराज़गी थोड़ी अपनी साथ रखना

भूलना मुझे गर लगे मुश्किल, तल्ख़ कोई बात याद करना
यादें बढ़ाने ना दे क़दम, साथ नफ़रतों के मुझे याद करना

महसूस हो मुझे खोकर कभी, ख़ता हो गई तुमसे कोई
मेरी ख़ताओं को हमदम ज़रा, मत नज़र-अंदाज़ करना

ख़्वाईश् है मेरी यही, ज़िन्दगी  अपनी सदा आबाद रखना
दौर-ऐ-मुश्किलात में, मेरी दुआओं का तावीज़ साथ रखना 

Saturday 17 October 2015

rooth jana aadt nahi








  

इंसान अपने दिल की ख़्वाइश को अंजाम देने में जो ख़ुशी महसूस करता है, उससे बेहतर उसके लिए दुनिया में कोई काम हो ही नहीं सकता. दिली ख़्वाइश इंसान को अपनी तरफ़ हमेशा ही एक अनदेखी डोरी की तरह खींचती है. कभी-कभी इंसान ख़ुद नहीं जान पाता और कभी-कभी जानने के बाद किसी से कह नहीं पाता. कई बार तो लोग दिल की गहराइयों में बसने वाली अपनी ख़्वाइश को पूरा करने की कोशिश से भी डरते हैं. पर, हाँ हक़ीकत यही होती है, जब तक ख़्वाइश पूरी नहीं होती इंसान कभी मुकम्मल तौर पर मुतमईन नहीं हो सकता. जो है वो तो बस है. हक़ीक़त वो हो सकती है जो आप चाहते हो. अगर ज़िन्दगी में कुछ ऐसा है जो आप नहीं चाहते और आज आप ये जान गए हैं, तो फ़ौरन उसे छोड़ देने में ही समझदारी है. ज़िन्दगी के आईने में यूँ उलझ कर रह जाने से बेहतर ये होगा कि आप ऐसा कोई क़दम उठायें जिससे आप एक मनपसंद नयी शुरुआत कर सकें. वक़्त आपका सबसे सच्चा दोस्त होता है. पर ये ठहरता उसी के साथ है जो इसकी दोस्ती को समझ लेता है. इसलिए कोई बात जो आपको ग़मगीन करती हो तो अपनी ज़िन्दगी को बदलने का सही वक़्त आपके लिए यही है.ज़िन्दगी से रूठे रूठे रह कर उसे यूँ ना गुज़ारो. ज़िन्दादिली से जियो ज़िन्दगी को. 


आदत नहीं ख़फ़ा होना,क्या पैमाना छलके भी नहीं

दिल हो गर ज़ख़्मी,ख़ामोशी रूठ जाना भी नही

रूह में नश्तर चुभे गर,दिल से लहू छलके भी नहीं

ज़ख़्म दे ज़माना कहे,रुख़ पर दर्द झलके भी नहीं

इन्तेहाँ तकलीफ़ की ना ढूंढ,निशां मिलेंगे भी नहीं

सदा एक मुद्दत बाद सुनी,जो उसने दी भी नहीं

साँसें रुक सी गई,क़दमों तले ज़मीं रही भी नहीं

फ़ासलों की ज़मी पर,दूरी मिटाने की फ़सल उगेगी भी नहीं

जल कर इंसाँ ख़ाक हो गए,यहाँ नफ़रतों की कमी भी नहीं

परवाह की न दर्द की मैंने,पर वो मुझसे जुदा है भी नहीं

आदत नहीं ख़फ़ा होना क्या पैमाना छलके भी नहीं

दिल हो गर ज़ख़्मी तल्ख़ होना रूठ जाना भी नही