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Wednesday 13 April 2016

ख़्वाबkhwab


हमें ख़्वाब ज़रूर देखना चाहिए,क्योंकि जब तक ख़्वाब को देखा नहीं जायेगा ,तब तक उन्हें पूरा करने की ख़्वाइश दिल में पैदा नहीं होगी,और उन्हें पूरा करने की कोशिश की ही नहीं जा सकेगी. ख़्वाब जो हक़ीकत का जामा पहन सकते हैं. रातों की नींदों के नहीं,खुली आँखों से देखे जाएँ तभी वो इन्सान को एक उम्मीद से भरी दुनिया की सैर कराते हैं. उनमे एक ऐसा जादू होता है,जो एक ताक़त ज़िंदगी जीने की तो देते ही हैं.ज़िन्दगी को मक़सद भी देते हैं. ऐसे ख़्वाब आपकी नींदों को उड़ाने की क़ुव्वत भी रखते हैं.

हाँ ये ज़रूर याद रखना चाहिए कि हर ख़्वाब को पूरा करने की जब तक कोशिश नहीं की जाएगी, उसका मुक़म्मल होना नामुमकिन सी बात है. वक़्त और मेहनत ज़रूर लगेगी, लेकिन ख़्वाब पूरा ज़रूर होगा. अगर एक कोशिश काम नहीं कर पाई,तो वजह क्या रही उसे पह्चाने,और फिर सुधार के साथ नई शुरुआत करें.

हाँ ख़्वाब जब तक आपको ख़ुशी और इत्मीनान और सुकून नहीं दें उन्हें आप जी जान से जी नहीं पाएँगे. जो लोग अपनी ज़िन्दगी को ख़्वाब मानते हैं,ऐसा कहते हैं कि वो सही ही होते हैं,क्योंकि कहते हैं हम जागते हुए सोते हैं,और सोते हुए जागते हैं.

आवाज़ दे कर उन्हें ज़िन्दगी दो
ख़्वाब गुज़रते हैं ख़यालों में जो
रात या दिन उन्हें सोने ना दो
जागी आँखों में जागे ख़्वाब जो
मक़सद के साथ उन्हें मंज़ूरी दो
भटकते हैं ख़याल बेमक़सद जो

मंज़िल आसां समझने की भूल ना हो
मौत-हयात की इन्हें कश्मकश ना दो

तवक्को चाहें सारी तुम्हारे ख़्वाब
सोने ना दें जो सीने की बन आग
ढूँढती उन्हें मंज़िल दीवानी हो
धूल  बन  जाते  राहों की जो


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