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Friday 22 April 2016

apne liyeअपने लिए



दुनिया में हम सारे ज़माने के साथ बेहतरीन से बेहतरीन रिश्ते बनाते हैं और उन्हें निभाते भी बड़ी शिद्दत के साथ हैं. हम भूल जाते हैं तो बस एक बात कि हमें भी ख़ुद की ज़रूरत होती है. एक रिश्ता ख़ुद से ख़ुद का भी ज़रूरी है. दूसरों के लिए,उनकी जरूरतों के लिए आपकी मौजूदगी बहोत अच्छी बात है. थोड़ा सा वक़्त अपने आप के लिए भी होना चाहिए,ख़ुद के पास. ये एहसास आपको ज़िन्दगी से भरपूर होने का एहसास दिलाएगा,एक सुकून से सराबोर करेगा कि आप,आप हैं. सबकी ख्वाइशें पूरी करें,सबकी फ़रमाइशें पूरी करें,बस इस सबकी फ़ेहरिस्त में ख़ुद को भी शामिल कर लें. ज़रूर दूसरों की आपके बारे में राय  सुने, पर उनके नज़रिये से ख़ुद को ना देखें.ख़ुद को शाबाशी देना सीखें. अपने लिए ख़ुद फ़ैसले लें ना कि बग़ेर सोचे समझे दूसरों के फैसलों पर अमल कर डालें. ख़ुद के लिए जीना सीखें. अपने शौक़, अपनी पसंद और उन बातों का जो आपके लिए एहमियत रखती हैं,उनका भी ख़याल रखें. जब आपका अपने आप से इतना प्यारा रिश्ता बन जायेगा,कि आपकी ख़ुशी, आपके ग़म, आपकी ज़रूरत के वक़्त आप ख़ुद के क़रीब मौजूद रहते हैं तब आप सुकून तो पाएँगे ही अपने अन्दर ज़िदगी जीने की एक नई ताक़त महसूस करेंगे.और तब आपकी ज़िन्दगी की ख़ुशहाली का आप ज़रा तसव्वुर तो कर के देखिये.बस पहला क़दम उठाइए और मज़बूती से उस पर क़ायम रहिये.


इरादे हों मजबूत,नज़ाक़त की क्या बात

ताक़त हो फ़ौलादी,नज़ाक़त की क्या बात

आसां नहीं मंज़िल,नाज़ुक हो गर मिजाज़

नाज़ुकमिजाज़ी में गुम हुए  सारे नवाब

नसीहत है नज़ाक़त से अपनी कहो बात

कहते वही सच हो, पुख़्ता हो जो बात

क्यों चुनने बैठें फिर नाज़ुक  अल्फ़ाज़


Wednesday 13 April 2016

ख़्वाबkhwab


हमें ख़्वाब ज़रूर देखना चाहिए,क्योंकि जब तक ख़्वाब को देखा नहीं जायेगा ,तब तक उन्हें पूरा करने की ख़्वाइश दिल में पैदा नहीं होगी,और उन्हें पूरा करने की कोशिश की ही नहीं जा सकेगी. ख़्वाब जो हक़ीकत का जामा पहन सकते हैं. रातों की नींदों के नहीं,खुली आँखों से देखे जाएँ तभी वो इन्सान को एक उम्मीद से भरी दुनिया की सैर कराते हैं. उनमे एक ऐसा जादू होता है,जो एक ताक़त ज़िंदगी जीने की तो देते ही हैं.ज़िन्दगी को मक़सद भी देते हैं. ऐसे ख़्वाब आपकी नींदों को उड़ाने की क़ुव्वत भी रखते हैं.

हाँ ये ज़रूर याद रखना चाहिए कि हर ख़्वाब को पूरा करने की जब तक कोशिश नहीं की जाएगी, उसका मुक़म्मल होना नामुमकिन सी बात है. वक़्त और मेहनत ज़रूर लगेगी, लेकिन ख़्वाब पूरा ज़रूर होगा. अगर एक कोशिश काम नहीं कर पाई,तो वजह क्या रही उसे पह्चाने,और फिर सुधार के साथ नई शुरुआत करें.

हाँ ख़्वाब जब तक आपको ख़ुशी और इत्मीनान और सुकून नहीं दें उन्हें आप जी जान से जी नहीं पाएँगे. जो लोग अपनी ज़िन्दगी को ख़्वाब मानते हैं,ऐसा कहते हैं कि वो सही ही होते हैं,क्योंकि कहते हैं हम जागते हुए सोते हैं,और सोते हुए जागते हैं.

आवाज़ दे कर उन्हें ज़िन्दगी दो
ख़्वाब गुज़रते हैं ख़यालों में जो
रात या दिन उन्हें सोने ना दो
जागी आँखों में जागे ख़्वाब जो
मक़सद के साथ उन्हें मंज़ूरी दो
भटकते हैं ख़याल बेमक़सद जो

मंज़िल आसां समझने की भूल ना हो
मौत-हयात की इन्हें कश्मकश ना दो

तवक्को चाहें सारी तुम्हारे ख़्वाब
सोने ना दें जो सीने की बन आग
ढूँढती उन्हें मंज़िल दीवानी हो
धूल  बन  जाते  राहों की जो