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Saturday 21 January 2017

आदत aadat



आजकल अवाम ने  पढ़ने की आदत छोड़ सी दी है. सब बस भागमभाग भाग में लगे रहते हैं. कुछ पढ़ने के बजाय यू ट्युब पर देखने में ज़्यादा सहूलियत महसूस करते हैं. जबकि पढ़ने में जो लुत्फ़ होता है उसकी तो कुछ बात ही अलग है. ताज़ा-ताज़ा ख़बरों का मज़ा जो अख़बार पढ़ते हुए चाय-काफ़ी पीते हुए आता है उसकी तो बात ही निराली होती है. छोटी-छोटी कहानियां पढ़ना या बड़े-बड़े नॉवेल.कविताएँ पढ़ें या ग़ज़ल, हर बात का लुत्फ़ निराला हुआ करता था. किताबें पहले ज़माने के लोगों की सबसे अच्छी दोस्त हुआ करती थीं. सही रास्ता दिखाने में मददगार हुआ करती थी. अब तो मज़हबी किताबें भी डिज़िटल ही हो कर रह गईं हैं. हाँ ये भी सच ही है,कि हर एक बात का अपना एक अलग अंदाज़ होता है, एक अलग अच्छाई होती है,तो एक कमी होती है,एक फ़ायदा होता है, तो एक नुकसान भी होता है यानि हर बात के दो पहलु होते हैं.  ऐसे ही हर पुराना ख़याल या पुराना दौर अच्छा ही हो  और हर नया  ख़याल और नया ज़माना  बुरा ही हो, ये भी सच नहीं. और फिर ये अपनी-अपनी पसंद अपना-अपना ज़ायका है. जिसे जो अच्छा लगता है अपना लेता है. अब भी ऐसे पढ़ने के शोक़ीन मौजूद हैं,दुनिया में,जिन्हें पढना-पढ़ाना अब भी ख़ासा पसंद होता है.

शहर नहीं,गाँव भी अच्छे होते हैं
शहरों में भी लोग सच्चे होते हैं
कहीं हों, अच्छे लोग अच्छे होते

बुढ़ापे में बचपन अच्छे लगते हैं       
कुछ सयाने  भी  बच्चे लगते हैं

पुख़ता दीवारों के घर कच्चे देखे
कच्चे घरों के बाशिंदों में रिश्ते पक्के देखे

रेशमी लिबास में पत्थर-दिल देखे
साये में अमीर बस्ती के भूखे बच्चे देखे

कल की फ़िक्र में आज को खोते सारे देखे
अभी की परवाह नहीं,दूरअंदेश सारे देखे

ख़िजां के बाद बहारों के गुल अच्छे लगते
मुश्किल वक़्त में सब्र के फ़ल मीठे लगते


आज की जनरेशन के पास वक़्त नहीं है, किताब पढ़ने का. इन लोगों को ये काम मुश्किलतरीन लगता है. इतना बड़ा आर्टिकल? इतना बड़ा ख़त? इतनी बड़ी बुक? ऐसे रिएक्शन होते हैं. अब ये आदत ही कहाँ? कहीं कुछ लिख कर रख लो याददाश्त के लिए. कुछ पुराना याद आये तो निकल कर पढ़ लो. एक मशीनी ज़माना आया है. मोबाईल में नोट कर लो और डिलिट कर दो. मोबाइल से भी और अपनी याददाश्त से भी. ख़त-ओ-किताबत की तो बात ही ना जाने कहाँ पीछे छूट गई है.एक फ़ॉर्मल सा मेल होता है. और वो भी ज़रूरी लगे तब,वरना तो बस, कुछ जुमलों वाला मेसेज ही काफ़ी होता है.