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Sunday 10 January 2016

jlavatanजलावतन



दुनिया में आने वाला हर शख़्स एक ना एक दिन मरता ज़रूर है,पर हर शख़्स जीता भी कहाँ है?यानि एहमियत इस बात की नहीं,कि ज़िन्दगी जीने के बाद आप कहाँ जाएंगे?जन्नत मिलती है आपको या दोज़ख़ मिलती है. असल और ज़रूरी सवाल ये होना चाहिए कि आपने इस ज़िन्दगी को कैसे जिया? खुशियों को अपना कर जन्नत की तरह लुत्फ़ उठाया या ग़मों के साग़र में गोतें लगा कर अपनी ज़िन्दगी को जहन्नुम बना लिया. हमेशा शक़,डर,नफ़रत या गुस्से में रहने वाले के लिए खुशियाँ ना तो इस जहाँ में होती हैं और ना उसे ये कहीं और मिलती हैं. अपने किसी काम को करने से पहले ये ना सोचें,कि आप अकेले हैं, चाहे आप सब नहीं कर सकते हों,पर कुछ तो होगा जो आप कर सकते हों,तो फ़िर अपने क़दमों को बढ़ने से नहीं रोकना चाहिए. बात जो आपके बस के बाहर की हो जिसके होने या ना होने पर आपका कोई अख़्तियार नहीं होता,आप अगर हर उस बात की फ़िक्र छोड़ दें,तो समझ लीजिये आपको हमेशा ख़ुश रहने का रास्ता मिल गया.
शिक़ायतें चलती रहती हैं. साथ-साथ इनके ज़िन्दगी भी चलती रहती हैं. अब ख़ुश होकर जियें या शिक़वा कर-कर के जियें.जीना तो है ही,तो क्यों ना ख़ुश हो कर ही जिया जाये.एक फ़ारसी कहावत है कि,ज़िन्दगी में गुलाब चाहते हो तो काँटों की इज़्ज़त करना सीखो.यानि ये जान लेना ज़रूरी है कितना छोटा सा भी टुकड़ा हो उसके सिरे दो ही होते हैं. किसी बात के पहलु भी दो ही होते हैं,तो ख़याल भी दो ही होंगे.अब आप किसे अपनाते हैं?

मेरे एतेक़ाफ़ को   जलावतन बना दिया
वक़्त ने किस बात का कैसा सिला दिया

हर-एक का अपना-अपना ज़ख्म हैं यहाँ
सबने अपनी आग़ में ख़ुद को जला दिया

रूह भटकती है अपने ही जिस्मों में
इंसान को ये कैसा खँडहर बना दिया

सफ़ेद ख़ून भी जहाँ ने किया बर्दाश्त
तूने आदम को आदमख़ोर बना दिया


आँधियों में चरागों ने फ़िर भी रखा दम
ये क्या अंधेरों ने उजालों को जला दिया

Sunday 3 January 2016

mere dar tak मेरे दर तक



अक्सर जज़्बाती इंसान को लोग कमज़ोर  समझने की भूल करते हैं.लेकिन सच्चाई ये नहीं है. सच तो ये हैं कि जज्बाती इंसान हमेशा ही मज़बूत होते हैं. उनका ज़िन्दगी को,दुनिया को और लोगों को देखने समझने का नज़रिया आम लोगों से ज़रा मुख़्तलीफ़ सा होता है. जो कमियाँ, जो कमज़ोरियाँ आम लोगों में होती हैं, वही इनमे भी हो सकती हैं. और इसी तरह जो खूबियाँ सब में हो सकती हैं वही इनमे भी होती हैं अक्सर तो खूबियाँ आम लोगों से बढ़ चढ़ कर होती हैं और दूसरों की खूबियों को पहचानने का एक अलग सा हुनर भी इनमे पाया जाता है.ये दुनिया से अपनी किसी मुश्किल के वक़्त मदद के इंतेज़ार में बैठे नहीं रहते. ख़ुद ही मुश्किलों से बहार आने की कोशिश करते हैं,और जीतते भी हैं. ये दोस्ती एक दम से नहीं करते लेकिन जब कर लेते हैं तो पूरी शिद्दत से उसे निभाते हैं. दोस्ती ही क्या ये हर रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभाते हैं. अक्सर किसी का फ़रेब इन्हें तोड़ देता है क्योंकि ये इनकी नाज़ुकमिजाज़ी  होती है. जिस तरह ये किसी के लिए बा-वफ़ा होते हैं, किसी की बेवफ़ाई और फरेब इन्हें तोड़ देते हैं. पर इस मोड़ से गुज़र कर ये और भी मजबूत हो जाते हैं .ये क्या हर इंसान ऐसे हालात से दो-चार होने के बाद सबक़ सीख कर मज़बूत हो कर ही आगे बढ़ता है. थोड़ी सी नाउम्मीदी होती है, पर ये भी थोड़ी सी देर की ही होती है.    


सूरज आज बड़ी देर से आया मेरे दर तक
आशियाँ अँधेरे से जलता रहा बड़ी देर तक
उम्मीद के चराग़ फ़िर जलाए बड़ी देर तक
सूरज आज बड़ी देर से आया मेरे दर तक
मेरी रात खड़ी रही दिन के द्वार देर तक
उजाला बाँटता रहा सबको ये दूर-दूर तक
दफ़न करता रहा अंधेरों को ये  देर तक
तेरे सारे अंदाज़ ठीक हैं,पसंद हैं,ऐ! सूरज
क्यों छीना तूने मेरी चांदनी को ऐ!सूरज
चांदनी मेरी लौटा दे चाहे फ़िर ना आना तू
सौग़ात मेरी लौटा,जहाँ जी चाहे फ़िर जा तू
तू आज मेरे दर, बड़ी देर से आया है सूरज
अपने साथ ये जलन-तपन लाया है ऐ!सूरज