अक्सर
जज़्बाती इंसान को लोग कमज़ोर समझने की भूल
करते हैं.लेकिन सच्चाई ये नहीं है. सच तो ये हैं कि
जज्बाती इंसान हमेशा ही मज़बूत होते हैं. उनका ज़िन्दगी को,दुनिया को और लोगों को देखने समझने का
नज़रिया आम लोगों से ज़रा मुख़्तलीफ़ सा होता है. जो कमियाँ, जो कमज़ोरियाँ आम लोगों में होती हैं, वही इनमे भी हो सकती हैं. और इसी तरह
जो खूबियाँ सब में हो सकती हैं वही इनमे भी होती हैं अक्सर तो खूबियाँ आम लोगों से
बढ़ चढ़ कर होती हैं और दूसरों की खूबियों को पहचानने का एक अलग सा हुनर भी इनमे
पाया जाता है.ये दुनिया से अपनी किसी मुश्किल के वक़्त मदद के इंतेज़ार में बैठे
नहीं रहते. ख़ुद ही मुश्किलों से बहार आने की कोशिश करते हैं,और जीतते भी हैं. ये दोस्ती एक दम से
नहीं करते लेकिन जब कर लेते हैं तो पूरी शिद्दत से उसे निभाते हैं. दोस्ती ही क्या
ये हर रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभाते हैं. अक्सर किसी का फ़रेब इन्हें तोड़ देता है
क्योंकि ये इनकी नाज़ुकमिजाज़ी होती है. जिस
तरह ये किसी के लिए बा-वफ़ा होते हैं, किसी
की बेवफ़ाई और फरेब इन्हें तोड़ देते हैं. पर इस मोड़ से गुज़र कर ये और भी मजबूत हो
जाते हैं .ये क्या हर इंसान ऐसे हालात से दो-चार होने के बाद सबक़ सीख कर मज़बूत हो
कर ही आगे बढ़ता है. थोड़ी सी नाउम्मीदी होती है, पर ये भी थोड़ी सी देर की ही होती है.
सूरज आज बड़ी देर से
आया मेरे दर तक
आशियाँ अँधेरे से
जलता रहा बड़ी देर तक
उम्मीद के चराग़ फ़िर
जलाए बड़ी देर तक
सूरज आज बड़ी देर से
आया मेरे दर तक
मेरी रात खड़ी रही दिन
के द्वार देर तक
उजाला बाँटता रहा
सबको ये दूर-दूर तक
दफ़न करता रहा
अंधेरों को ये देर तक
तेरे सारे अंदाज़ ठीक
हैं,पसंद हैं,ऐ! सूरज
क्यों
छीना तूने मेरी चांदनी को ऐ!सूरज
चांदनी
मेरी लौटा दे चाहे फ़िर ना आना तू
सौग़ात
मेरी लौटा,जहाँ जी चाहे फ़िर जा तू
तू
आज मेरे दर, बड़ी देर से आया है सूरज
अपने
साथ ये जलन-तपन लाया है ऐ!सूरज
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