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Wednesday 9 December 2015

mushkil hai safar



ज़िन्दगी सही तरीक़े से जीना और ख़ुशनुमा तरीक़े से जीना हर किसी की ख़्वाइश होती है. अक्सर हमारे साथ या हमारे आस-पास जब कुछ अनचाहा होता देखते हैं तब हम उसे होते रहने देते हैं.कई बार बर्दाश्त भी करते हैं.कई बार सहते-सहते हम उसके आदी से हो जाते हैं. हमें उसमे कुछ गलत नहीं नज़र आता. हम भी वेसे ही बनते जाते हैं जैसा हमारे आस-पास का माहौल होता है.
इसके उलट जब कभी ऐसा चाहा-अनचाहा होता है ,जो हमें बर्दाश्त नहीं होता. हम उसे होता नहीं देख सकते,तब उसे बदलने की कोशिश करते हैं. तब बदलने के लिए पूरी ताक़त से पुरज़ोर कोशिश करना चाहिए,और उसे अपने लायक़ बना लेना चाहिए. कभी ख़ुद को,कभी लोगों या हालात को बदल डालो. हर हाल में कोशिश ख़ुश रहने की होना चाहिए. यानीं वक़्त को अपना साथी बना लो या वक़्त के दोस्त बन जाओ.हमसफ़र साथ हो तो ज़िन्दगी आसान हो जाती है


राहे-ज़िन्दगी में, तन्हा चलना नहीं आसां

मुश्किल है सफ़र कुछ देर तो, चलो साथ

इस क़दर पराए नहीं, इतने अजनबी नही

कभी तो छोड़ दो, बेगानेपन का साथ

उलझनें तो, ज़मानेभर की हैं ज़माने में

गुज़र ना जाएँ लम्हात, आँसू बहाने में

अहिस्ता ही सही चलो,मुस्कान ले साथ

मिलते हैं ज़िन्दगी में हमसफ़र सच यही

तय होते हौसलों से सफ़र ये भी सच्चाई

शुरू करो ज़िन्दगी नई परवाज़ के साथ

कई अजनबी मोड़, राह में आते-जाते हैं

उलझन दरगुज़र करो, थामों तो मेरा हाथ

तेरे मेरे सवालों में,कई जवाब नज़र आते हैं

मेरी ख़ामोशी में जो है समझो,नाज़ के साथ

क्या शिक़ायत करूँ,क्या मै तुम्हे जवाब दूँ

तुम तो ले कर देखो कभी जुबां का साथ 

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