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Tuesday 29 December 2015

seekh sako toसीख सको तो



इंसान की ज़िन्दगी में दुःख, परेशानी साथ साथ चलते ही रहते हैं. ऐसा लम्हा शायद कभी नहीं आता,जब सारी परेशानियाँ ख़त्म हो जाएँ. कुछ ना कुछ तकलीफ़, परेशानी तो होती ही है. लेकिन ऐसा भी नहीं होता कि साथ इसके कोई ख़ुशी ना हो ज़िन्दगी में. वो भी रहती ही है किसी ना किसी रूप में हमारे आपके साथ. इसीलिए ज़िन्दगी के ख़ुशनुमा पलों को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए. उन्हें पहचान कर उनका लुत्फ़ उठाते रहना चाहिए. ऐसा नहीं कि सिर्फ़ मुश्किलों और परेशानियों के पीछे ही अपनी ज़िन्दगी मुहाल कर देना चाहिए. क्योंकि कुछ परेशानियाँ तो ख़ुद-ब-ख़ुद ही ख़त्म हो जाती हैं. कुछ थोड़ी बोहोत कोशिश से दूर हो जाती हैं,चाहे जल्दी या चाहे थोड़ा वक़्त ले कर, पर दूर हो जाती हैं. कुछ नई नई भी, साथ-साथ पनपती रहती हैं. इसलिए ज़िन्दगी के मज़े लेते रहना चाहिए. यही तो ज़िन्दगी है. असली ख़ुशी आपकी सोचों में होती है. आप किस बात को किस नज़रिए से देखते हैं.ये ख़ास मायने रखता है. ख़ुशी चाहिए तो उसे पहचानो भी,ख़ुश रहना भी सीखो.कभी ख़ुद से सीखो ,कभी दूसरों को देख कर सीखो.


बादलों की तरह बरसना क्या होता है
हमें देख कर समझ सको तो समझो

बिजली की तरह तड़पना क्या होता है
तड़प देख हमारी जान सको तो जानो

आँखों-आँखों में आंसू पीना क्या होता है
पढ़ सको तो दर्द की ख़ामोशी पढ़ लो

ज़ख्म सीते हैं सभी अपने इस जहाँ में
चाक जिगर सीना देख हमें  सीख लो

देख क़ातिल उतर आता, लहू नज़र में
मुस्कुराती नज़रों का क़हर अब देख लो

हमें था पता बेवफ़ाई तेरी फ़ितरत में है
तक़दीर अपनी ख़ुद बिगाड़ना यूँ देख लो

पशेमानी सबसे जाताना आसां नहीं होता
झूठ को सच बताना देख उन्हें सीख लो  

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