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Wednesday 2 December 2015

sau baar bikhrta hai



किसी मुश्किल को देख कर न्सान ने कभी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि मुश्किलें आप से ख़ुद की क़ाबिलियत की पहचान कराती हैं.सभी जानते हैं अँधेरे के उस पार ही उजाला होता है.जैसे हर दरिया का किनारा होता है..इसी तरह हर मुश्किल के बाद ही क़ामयाबी और ज़िन्दगी की आसानी होती है.चाहे कभी ऐसा हो की किसी मोड़ पर आ कर हमें सारे रास्ते बंद नज़र आने लगें,लेकिन कोई रास्ता कभी बंद नहीं होता,हाँ तंग या मुश्किल हो सकता है.जब हम नज़दीक से गौर से देखते हैं  वहाँ पहुँच कर तो पाते हैं कि जो रास्ता बंद नज़र आ रहा था वो दर-असल एक नए रास्ते का मोड़ होता है नई सिम्त ले जाने वाला नया सा रास्ता. हमारे क़दम और कोशिशें हमारी,हिम्मत और हमारी अपने मुक़ाम तक पहुँचने की लगन, उसे पाने का हमारा नज़रिया ही हमें उंच-ऊँचे पहाड़ पार करवा कर ख़ुशनुमा मंज़र दिखलाता है.अगर थक हार कर बस रास्ते को दूर से ग़मगीन हो कर बैठ कर देखेंगें तो बस देखते ही रह जाएंगे.मुश्किलों से टूट कर बिखरना नहीं बल्कि पूरी ताक़त और हिम्मत के साथ उसका सामना कर के ही जीत हासिल की जा सकती है. टूटना,बिखरना या रोना कमज़ोरी की निशानी होती है.

सौ बार टूटता है सौ बार बिखरता है
टूट कर ख़ुद किर्चे-किर्चे समेटता है
बिखर कर जज़्बा फिर संभलता है
जुड़ कर पाना ख़ुद को यूँ दोबारा
ख़ुद को खोना सा होता यूँ पाना
पा कर भी क्या पा लेता यूँ  इंसा
टूटे हुए सारे पल ,बिखरे सारे कल
जब बिखरे, आने-जाने वाले  लम्हे
तिनका-तिनका सारे बिखरे सपने
ख़्वाबों से तब जाग हक़ीकत को देख
हौसला छू लेता मंज़िल आज़मा तू देख 

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