हर इंसान की ज़िन्दगी में ख़ुशी और ग़म साथ-साथ चलते रहते हैं. इन्सान को ख़ुशी में इतना भी नहीं खो जाना चाहिए की ग़म की आहट उसे सुनाई ना दे. ग़म में भी उसे इतना हौसला रखना ही चाहिए की उस ग़म या मुश्किल से निजाद पाने के लिए उसका ज़हन उसका साथ दे पाए. उसे इस बात का यक़ीन होना ही चाहिए कि हर मुश्किल का हाल होता है. वक़्त एक सा नहीं रहता. हर रात की सुबह होती ही है. सबसे ज़्यादा उसे ख़ुद अपने-आप पर यक़ीन होना चाहिए, कि चाहे कुछ भी हो, वो हर बात, हर सवाल, हर मुश्किल का नतीजा अपने हक में करने की क़ाबिलियत रखता है. फिर कभी कोई भी,कुछ भी उसका कुछ नहीं नुक्सान कर सकता है. हर जगह वो क़ामयाबी ही पायेगा. कौशिश और हौसला साथ में ख़ुद पर यक़ीन यही वो जादू की छड़ी होती है जो इन्सान अपने साथ रखे तो ख़ुशी और क़ामयाबी हमेशा उसके इर्द-गिर्द ही नज़र आती हैं
मुझे
धूप मिली, या मिली घनी छाँव
मिला
जब,हर लम्हा नया सुकूं मिला
पा
कर फ़ैसले ज़िन्दगी के मेरी
मुझे
लम्हा-लम्हा क़रार मिला
बदले
मौसम जब बहार आई
जिंदगी
रफ़्ता-रफ़्ता मुस्काई
मौसमे बहार से तो पूछे कोई
धूप
या छाँव क्या पसंद आई'
धूप
रफ़्ता-रफ़्ता जीना सिखा गई
पगडंडी
पर धूप की छाँव मिली
करवट
बदल ख़िज़ां बहार लाई